सरदार पटेल जी का जीवन परिचय Sardar Patel Ji Biography in Hindi

सरदार पटेल  भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और प्रशिद्ध नेता थे।   इनका पूरा नाम सरदार वल्लभभाई पटेल था  ‘सरदार’ का अर्थ है “प्रमुख”।  उन्हें सरदार पटेल के नाम जानते हैं। उनको भारत का  ‘लौहपुरुष’ भी कहा जाता था  वह आज़ाद भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री थे । वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । भारत की  स्वंत्रता के बाद पटेल ने  देशी रियसतों के जोड़ने का काम  सफलतापूर्वक  किया। 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। वल्लभभाई पटेल को वर्ष 1991 में उनके  मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया

31 अक्टूबर, 2025 को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाई जाती हैं । सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ही भारत की आजादी के बाद  भारतीय रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने में अपना अहम्  योगदान दिया था। सरदार पटेल भारत के प्रथम  उप-प्रधानमंत्री और  प्रथम गृह मंत्री दोनों  थे। देश की आजादी में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे कहीं ज्यादा योगदान उन्होंने आजाद भारत को एक सूत्र में बांधने में भी किया था।

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सरदार पटेल जी का जीवन परिचय (Sardar Patel Ji Biography in Hindi):

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को नडियाद, गुजरात में एक लेवा पटेल जाति में हुआ था। उनके पिता  का नाम झवेरभाई पटेल और माता  का नाम लाडबा पटेल था जो की किसान थे वह अपने माता पिता की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके भाई  थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। वल्लभभाई पटेल का बचपन करमसद के पैतृक खेतों में बीता। यहीं से वह मिडिल स्कूल से पास हुए और नाडियाड में 1897 में मैट्रिक में एडमिशन लिया और पास किया ।  सरदार पटेल दिखने में बहुत साधारण थे लकिन वो  बहुत  मजबूत इच्छा शक्ति वाले वयक्ति थे ।  वह एक बैरिस्टर बनना चाहते थे। 36 वर्ष की अवस्था में, वह अपने इस सपने को पूरा करने के लिए इंग्लैंड गए और माध्यमिक धर्मशाला मंदिर में प्रवेश लिया। उन्होंने अपने 36 महीने के कोर्स को सिर्फ 30 महीनों में ही पूरा कर लिया। वह भारत में वापस आने के बाद अहमदाबाद में वकालत करने लगे और  अहमदाबाद के एक सबसे सफल बैरिस्टर बने। 

सरदार पटेल की पत्नी का नाम झावेर था उनके १ पुत्र डाया भाई और पुत्री मणिबेन पटेल थी सरदार पटेल की पत्नी कैंसर से पीड़ित थीं. जिसकी वजह से उनका अस्पताल में इलाज के दौरान ही झावेर बा का निधन हो गया.   

सरदार पटेल, महात्मा गांधी से बहुत प्रेरित थे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। यही कारण था कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश को आजादी दिलाने और आजादी के बाद देश का शासन  से चलाने में सरदार पटेल का विशेष योगदान रहा है।

‘गुजरात सभा’ एक राजनीतिक संस्था थी जिसमे वर्ष 1917 में सरदार पटेल को सचिव चुना गया  जिसने गांधीजी को उनके आंदोलनों में बहुत मदद की थी।

वल्लभभाई झावर भाई पटेल, भारत के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह माना जाता है कि उनका जन्म 31 अक्टूबर सन् 1875 को गुजरात के नडियाद नामक गाँव में हुआ था। अक्सर लोग उन्हें सरदार के नाम से संबोधित किया करते थे।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भूमिका (Role in Indian National Movement):

वर्ष 1918 में खेड़ा सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी के साथ उनके संबंध घनिष्ठ हो गए। उस समय गांधीजी ने कहा था कि यदि वल्लभभाई की सहायता नहीं होती तो यह अभियान इतनी सफलतापूर्वक नहीं चलाया जाता। इसके बाद पंजाब में ब्रिटिश सरकार के नरसंहार और आतंक के साथ खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ। इसमें गांधीजी और कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन का निर्णय लिया। सरदार पटेल ने   स्वतंत्रता  संग्राम के लिए कानून की प्रैक्टिस छोड़ दी और हमेशा के लिए खुद को पूरी तरह आंदोलम से के  कार्यों में लगा दिया।

इसके  बाद गांधीजी ने  नमक सत्याग्रह शुरू किया गया और ‘साइमन कमीशन‘ का  बहिष्कार  किया गया।

उन्हें पहली बार 1930 में गिरफ़्तार किया गया और जेल भेजा गया। पटेल को जेलों में भी समय बिताना पड़ा- वो छह बार में कुल मिलाकर क़रीब छह साल जेलों में रहे.

इसके बाद ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ ने 8 अगस्त, 1942 को बंबई में प्रसिद्ध ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया। जिसके बाद फिर से अंग्रेजो वल्लभभाई और  कार्य समिति के अन्य सदस्यों को  9 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया और गांधीजी, कस्तूरबा जी के साथ अहमदनगर किले में नजरबंद कर दिया गया। इस बार सरदार लगभग तीन वर्ष तक जेल में रहे। यह उनके जीवन की सबसे लंबी जेल यात्राओं में से एक थी। जब कांग्रेस नेताओं को मुक्त कर दिया गया और ब्रिटिश सरकार ने भारत की स्वतंत्रता की समस्या का शांतिपूर्ण संवैधानिक समाधान खोजने का निर्णय लिया, उस समय वल्लभभाई पटेल कांग्रेस के मुख्य वार्ताकारों में से एक थे।

स्वतंत्रता के बाद के भारत में योगदान (Contribution to Post-Independence India):

जब भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ तो  स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल को  भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री बनाया गया इसके साथ हे उनको  गृह मंत्री का अतिरिक्त प्रभार दिया गया जिसका पटेल जी ने अच्छे से जिम्मेदारी निभाई । लेकिन एक गंभीर समस्या अभी भी सामने खड़ी थी जिसका उन्हें सामना करना था। उस समय देश में छोटी-बड़ी 562 रियासतें थीं। इनमें से कई रियासतों ने तो आजाद रहने का ही फैसला कर लिया था, लेकिन सरदार पटेल ने इन सबको देश में मिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। देश की बड़ी जनसंख्या और राज्यों का एकीकरण वल्लभभाई पटेल के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक थी। 

विभाजन के बाद निभाई अहम भूमिका (Played an important role after partition):

सरदार वल्लभभाई पटेल ने बड़े साहस और दूरदर्शिता के साथ भारत-पाकिस्तान विभाजन की समस्याओं को सुलझाया, कानून और व्यवस्था को बहाल किया। इसके साथ ही दोनों देशों से आए हजारों शरणार्थियों के पुनर्वास का काम किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के चले जाने के बाद आम सेवाओं को दुबारा सुचारु रूप से चलाने और हमारे नए लोकतंत्र को एक स्थिर प्रशासनिक आधार प्रदान करने के लिए एक नई भारतीय प्रशासनिक सेवा का भी गठन किया।

सरदार वल्लभभाई पटेल का मुंबई में 15 दिसंबर 1950 को निधन हो गया था। वल्लभभाई पटेल भारत की स्वतंत्रता के प्रमुख वास्तुकारों और अभिभावकों में से एक थे और देश की स्वतंत्रता को मजबूत करने में उनका योगदान अद्वितीय है। इस वर्ष 31 अक्टूबर, 2024 को सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती (Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2024) मनाई जाएगी।

यद्यपि अधिकांश प्रान्तीय कांग्रेस समितियाँ पटेल के पक्ष में थीं, गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल जी ने प्रधानमंत्री पद की दौड से अपने को दूर रखा और इसके लिये नेहरू का समर्थन किया। उन्हे उपप्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री का कार्य सौंपा गया। किन्तु इसके बाद भी नेहरू और पटेल के सम्बन्ध तनावपूर्ण ही रहे। इसके चलते कई अवसरों पर दोनो ने ही अपने पद का त्याग करने की धमकी दे दी थी।

गृह मंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था। इसको उन्होने बिना कोई खून बहाये सम्पादित कर दिखाया। केवल हैदराबाद स्टेट के आपरेशन पोलो के लिये उनको सेना भेजनी पडी। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिये उन्हे भारत का लौह पुरूष के रूप में जाना जाता है। सन १९५० में उनका देहान्त हो गया। इसके बाद नेहरू का कांग्रेस के अन्दर बहुत कम विरोध शेष रहा।

भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस  (National Unity Day in India):

‘वसुधैव कुटुंबकम’ का मंत्र  भारत से ही दिया गया हैं । भारत में राष्ट्रीय एकता की भावना को व्यवहार में लाने के लिए 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ (National Unity Day) मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। 

सरदार पटेल ने ही आज़ादी के बाद  562 रियासतों को एकजुट करके भारत वर्ष का रूप दिया सरदार पटेल को  ‘लौह पुरुष’ के रूप में भी जाना जाता हैं । इसके अतिरिक्त भारत बहु-धर्मीय, बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र है, यहाँ पर अनेक संस्कृति और धर्म के लोग आपसी सौहार्द और सदभाव से रहते हैं, हम कह सकते है की भारत अनेकता में एकता का सटीक उदाहरण है। विश्व के किसी भी अन्य देश में इतनी सांस्कृतिक भिन्नताएं नहीं मिलेगी जितनी हमारे देश में हैं।

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity):

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) अखंड भारत के निर्माता तथा भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री व प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity)  प्रतिमा की  आधारशिला  भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा  2013 में रखी गयी थी। जो की गुजरात राज्य के नर्मदा जिले के केवड़िया में ‘सरदार सरोवर बांध’ के निकट  है।इस प्रतिमा को    33 महीनों में बनाया गया था।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) को  जिसकी कुल ऊंचाई ‘182 मीटर’ (597 फीट) हैं। वहीं इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची प्रतिमा चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध की है, जिसकी कुल ऊंचाई 153 मीटर (502 फीट) हैं।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का कुल वजन 1700 टन है। जिसमें पैर की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की 70 फीट, कंधे की 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट है। वहीं इस भव्य मूर्ति के भीतर एक लाइब्रेरी भी है, जहां पर ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’ से जुड़े हुए इतिहास को दर्शाया गया है। 

बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) की आधारशिला वर्ष 2014 में भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस की 138वीं वर्षगांठ पर रखी गई थी। प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ ने 2018 में सरदार पटेल की 142वीं वर्षगांठ पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity)का उद्घाटन किया । इसके बाद से ही यह स्थल दुनिया में पर्टयन का विशेष केंद्र बना हुआ है। 

सरदार पटेल की मृत्यु (Death of Sardar Patel):

सरदार पटेल  गांधीजी जी पे सबसे ज्यादा भरोसा करते थे । महात्मा गाँधी की मृत्यु के बाद से उनकी भी स्थिति बिगड़नी शुरू हो गई थी। गाँधी जी की मृत्यु के दो महीने के भीतर ही 15 दिसंबर 1950 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया। वह एक साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे। उन्हें’ भारत का लौह पुरुष’ कहना एक सत्य कथन है।

यह जीवनी सार्वजनिक स्रोतों में उपलब्ध जानकारी पर आधारित है और इसे पूरी तरह से सटीक नहीं माना गया है। उल्लेखित विवरण केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए हैं, और पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे तथ्यों की पुष्टि अपने स्वयं के शोध और विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से करें।